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                                                                 मन का विश्वास !                                लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती  कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती |  नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है , चढ़ती दीवारों पर , सौ बार फिसलती है |  मन का विश्वास रगो मै  साहस भरता है , चढ़कर गिरना , गिरकर चढ़ना न अखरता है |  आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती , कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती | डुबकियां सिंधु मे गोताखोर खुब  लगाता है , जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है |  मिलते नहीं सहज हीं मोती पानी मे , बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी मे |  मुट्ठी उसकी हर बार खली नहीं होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती |    असफलता एक चुनौती हे ,इसे स्वीकार करो...
                                                        अनमोल वचन                           "असफलता  एक  चुनौती  है ,स्वीकार  करो  क्या  कमी  रह  गयी , देखो  और  सुधार  करो  जब  तक  न  सफल  हो , नींद  चैन  को  त्यागो  तुम  संघर्ष  का  मैदान   छौड़  मत  भागो  तुम   कुछ  किये  बिना  ही  जय  जयकार  नहीं  होती  कोशिश  करने   वालों  की  हार  नहीं  होती " -हरिवंशराय  बच्चन 
There is another sky                     There is another sky, Ever serene and fair, And there is another sunshine, Though it be darkness there: Never mind faded forests,Austin, Never mind silent fields- Here is a little forest, Whose leaf is ever green; Here is a brighter garden, Where not a frost has been; In its unfading flowers I hear the bright be hum: Prithee,my brother, Into my garden come!                                             - Emily Dickinson
          True Lines प्यार किसी को करना लेकिन कह कर उसे बताना क्या, अपने को अर्पण करना पर, और को अपनाना क्या| -हरिवंश राय बच्चन

क्षण भर को क्यों प्यार किया था? -

              क्षण भर को क्यों प्यार किया था? क्षण भर को क्यों प्यार किया था  ? अर्द्ध रात्रि मे सहसा उठकर , पलक संपुतो में मदिरा भर तुमने क्यों मेरे चरणों मे अपना तन -मन वार दिया था? क्षण भर को क्यों प्यार किया था? यह अधिकार कहाँ से लाया? और न कुछ मैं कहने पाया- मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था! क्षण भर को क्यों प्यार किया था? वह क्षण अमर हुआ जीवन में, आज राग जो उठता मन में- यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उदगार दिया था| क्षण भर को क्यों प्यार किया था? -हरिवंश राय बच्चन

आ रही रवि की सवारी कविता

                             आ रही रवि की सवारी! नव किरण का रथ सजा है,  कलि-कुसुम से पथ सजा है , बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण  पोशाक धारी आ रही रवि की सवारी! विहग बंदी और चारण, गा रहे हैं कीर्ति  गायन, छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी! आ रही रवि की सवारी! चाहता,उछलूँ विजय कह, पर देखकर ठिठकता यह, रात का राजा खडा़ है राह में बनकर भिखारी! आ रही रवि की सवारी! -हरिवंश राय बचन